8TH SEMESTER ! भाग- 68( At Home-2)
"खा उस लड़की की कसम ,जो तुझे कॉलेज मे सबसे अच्छी लगती है ,कि तूने कल रात शराब नही पी थी..."
जैसे ही विपिन भैया ने ये बोला, मेरे जहन मे ईशा आई , अब दिक्कत ये थी कि ईशा की झूठी कसम खाकर खुद को ग़लत होते हुए भी सही साबित करू या फिर सब कुछ सच बता कर खुद को एक नये बोझ से दूर करू ...उस वक़्त मैने दूसरा रास्ता चुना, लेकिन क्यूँ ? ये मैं नही जानता....
"वो दोस्तो ने जबरदस्ती पिला दी थी..."
"अच्छा...तूने सच बोला इसका मतलब यही कि कॉलेज मे तेरी गर्ल फ्रेंड भी है...मना किया था ना ये सब करने के लिए...."
अभी तक मैं खुद को बहुत शातिर समझता था ,लेकिन इस वक़्त मेरी सारी होशयारी तेल लेने चली गयी थी, भैया ने बातो मे फँसा कर सब कुछ जान लिया था....अपने शब्दो के जाल मे फँसा कर विपिन भैया और भी कुछ ना जान जाए ,इसलिए मैं पानी पीने के बहाने से वहाँ से उठा और ऐसा उठा कि वापस उस तरफ गया ही नही.... 😎
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वैसे तो छुट्टियाँ 7 दिन की थी,लेकिन हम सबने प्लान बनाकर ये डिसाइड किया था कि 15 दिन तक कॉलेज नही जाएँगे...और ये सही भी था,क्यूंकी यदि अभी कॉलेज से बंक नही मारेंगे तो क्या बाद मे ऑफीस से बंक मारेंगे...लेकिन प्लानिंग करते वक़्त घर मे ऐसा माहौल क्रियेट होगा, उस समय हमें इसका अंदाजा नहीं था. हमने तो यही सोचा था कि घर मे रहूँगा, बढ़िया 15 दिन तक हचक के खाना खाउन्गा और उसके बाद कॉलेज के लिए रवाना हो जाऊंगा ....लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ.
क्यूंकी ये मेरा कॉलेज नही,ये मेरा घर था, जहाँ मैं अपने हिसाब से नही चल सकता था....घर मे रात को 10 या 11 बजे तक सोना पड़ता था,ताकि सुबह 6 बजे तक नींद खुल जाए.....मैं रात को 10 बजे सोने की बहुत कोशिश करता लेकिन सफल नही होता था...मैं अपने रूम के बिस्तर पर पड़े-पड़े मैं कॉलेज की लड़कियो के बारे मे देर रात तक सोचता रहता...कभी-कभी मेरी ये सोच आधे घंटे तक चलती तो कभी कुछ घंटो तक...और एक दिन तो ग़ज़ब हो गया जब मैं इसी सोच मे इतना खो गया कि सुबह के 3 बजे तक मैं जागता हुआ करवटें बदलता रहा....
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मुझे अपने घर की ज़िंदगी रास नही आ रही थी...इसलिए मैने डिसाइड किया कि मैं 7 दिन बाद कुछ भी बहाना मारकर यहाँ से निकल जाउन्गा ,भले ही मुझे विदाउट रिज़र्वेशन, जनरल बोगी मे धक्के खाते हुए ही क्यूँ ना जाना पड़े....और अपने इसी प्लान को कामयाब करने के लिए मैने पहला तीर तब चलाया...जब शाम को सब एक साथ हॉल मे बैठे थे, इस वक़्त हॉल मे टी.वी. चालू था और उसमे बेहद ही बकवास और बोरिंग...सीरियल चल रहा था...बकवास इसलिए क्यूंकी वो बकवास था और बोरिंग इसलिए क्यूंकी वो बोरिंग था. सबसे पहले यकीन भैया को दिलाना था,इसलिए मैने सबसे पहले उन्ही से बोला...
" भैया....कल मुझे वापस जाना है..."
"कहाँ..."
"Daxue "
"अबे तू पागल हो गया है क्या...?? कॉलेज जाके.. अब हिन्दी मे बोल..."
"चाइनीस मे Daxue का मतलब कॉलेज होता है...मुझे कल कॉलेज जाना है..."
"तूने तो कहा था कि 15 दिनो के लिए यहाँ आया है..."
"आक्च्युयली...भैया वो क्या है कि..मैने भी यही सोचा था ,लेकिन फिर वो मैं, मुझे खुद मालूम..या मुझे..."
"ये तेरी आन्सर शीट नही है जो शब्दो को घुमा-घुमा कर भरेगा...अब जल्दी बोल.."
"फॉर्म भरना है..."मैने झट से जवाब दिया...और ये आइडिया मुझे सामने चल रहे बकवास और बोरिंग सीरियल से ही सूझा था...जिसमे एक माल दूसरे माल को एक पेपर पकड़ा कर साइन करवा रही थी....
"फॉर्म...?कैसा फॉर्म.."
"सेकेंड सेमेस्टर का...मेरे एक दोस्त का फोन आया था सुबह उसी ने बताया कि कल से फॉर्म मिलना चालू हो जाएगा..."
"तो लास्ट डेट मे भर लेना...उसमे कौन सी बड़ी बात है..."
"अरे भैया आप समझ नही रहे हो,...शुरू-शुरू मे भीड़-भाड़ बहुत कम रहती है, इसलिए जितना जल्दी भर दिया जाए...उतना ही सही है.... वरना यदि लास्ट डेट को कोई सर्वर -वर्वर ख़राब हुआ तो यूनिवर्सिटी के मुख्यालय जाना पड़ेगा..."
विपिन भैया चुप होकर कुछ सोचने लगे और फिर मेरी तरफ देखकर बोले"तो फिर कल फॉर्म भरकर वापस घर आ जाना...सिंपल..."
"ठीक है,,,"अपने प्लान की भजिया बनते देख मैं वहाँ से उठा और अंदर आकर अंदर ही अंदर दहाड़ मारने लगा....
"लेकिन भैया...कल आने मे प्राब्लम है..."मैं वापस हॉल मे गया और विपिन भैया के साइड मे बैठकर बोला"दो-तीन दिन के लिए अब मैं क्या वापस आउन्गा...वही रुक जाउन्गा..."
"एक हफ्ते मे दो-तीन दिन होते है क्या..."
"नही "
"तो फिर ऐसा क्यूँ बोला कि दो तीन दिन के लिए क्या आएगा....कल सीधे से कॉलेज जाना और सीधे से वापस आना..."
"धत्त तेरी की...."मै फिर मन मे चिल्लाया
उसके अगले दिन ठीक वैसा ही हुआ,मैं घर से फॉर्म भरने के बहाने निकला और दिन भर घूम कर रात को 9 बजे,ट्रेन के टाइम पर रेलवे स्टेशन पहुच गया.....
"हो गया काम..."मुझे पिक अप करने के लिए आए विपिन भैया ने पुछा...
"हां...हो गया.."
"स्लिप कहा है..."
"स्लिप ???" मैं कुछ देर तक सोच मे पड़ गया की भैया किस स्लिप के बारे मे बात कर रहे...
"स्लिप बे..."
अब जब कॉलेज गया ही नहीं, फॉर्म भरा ही नहीं तो स्लिप कहा से लाता... यहाँ मै पकड़ा गया
"धत्त तेरी की...वो तो मैं हॉस्टल मे ही भूल आया..."
"अगली बार से ध्यान रखना..."एक कड़क आवाज़ मेरे कानो मे गूँजी...
"जी भैया..."
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वो 15 दिन मैने जैसे-तैसे बिताए...उन 15 दिनो मे मुझे ऐसा लगने लगा था कि जैसे वो 15 दिन 15 साल के बराबर हो...लेकिन अब मैं अपने कॉलेज वापस आ गया था, यानी कि सेकेंड सेमेस्टर मे...इस सेमेस्टर मे बहुत कुछ नया होने वाला था...कुछ अच्छा था तो कुछ बेहद बुरा....दीपिका मैम का अब कोई भी क्लास इस सेमेस्टर मे नही था, ये मेरे लिए एक बुरी खबर थी...कुछ लौन्डो ने कहा था कि रिज़ल्ट इस बार जल्दी आएगा ..ये भी मेरे लिए बुरी खबर थी....और इस वक़्त सबसे बुरी खबर ये थी कि मैं इस वक़्त हॉस्टल मे अपने ही रूम के बाहर कंधे पर बैग टांगे खड़ा था...क्यूंकी अरुण मुझसे पहले पंहुचा था और अभी दरवाजे मे ताला मारकर आधे घंटे से कहीं फरार था...वो घर से तो आ गया था,लेकिन अभी कहीं गया हुआ था....मैं पिछले 30 मिनट. मे 30 बार उसे कॉल लगा चुका था और हर बार वो यही जवाब देता कि बस 5 मिनट.
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घर से सोचकर आया था कि इस सेमेस्टर मे कुछ भी उल्टा सीधा नही करूँगा...ना तो लौंडियबाज़ी करूँगा और ना ही लड़ाई झगड़ा और दिन मे 3 सिगरेट से ज़्यादा नही पीऊंगा ....ये सेमेस्टर मेरे लिए एक दम नया था,क्यूंकी बहुत सी चीज़े नयी होने वाली थी जैसे कि न्यू सब्जेक्ट्स थे...कुछ नये टीचर्स, नये लैब ...वर्कशॉप एट्सेटरा. एट्सेटरा.
लेकिन सबसे ज़्यादा नयापन तो उस दिन लगने वाला था, जिसदिन हमारा रिज़ल्ट आता..
Barsha🖤👑
26-Nov-2021 06:03 PM
वाह बहुत बढ़िया लेखन
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